Monday, 16 December 2013

Gayatri Mantra

गायत्री मंत्र का वर्णं:

ॐ भूर्भुवः स्वः
तत्सवितुर्वरेण्यं
भर्गो देवस्यः धीमहि
धियो यो नः प्रचोदयात्
गायत्री मंत्र संक्षेप में

गायत्री मंत्र (वेद ग्रंथ की माता) को हिन्दू धर्म में सबसे उत्तम मंत्र माना जाता है. यह मंत्र हमें ज्ञान प्रदान करता है. इस मंत्र का मतलब है - हे प्रभु, क्रिपा करके हमारी बुद्धि को उजाला प्रदान कीजिये और हमें धर्म का सही रास्ता दिखाईये. यह मंत्र सूर्य देवता (सवितुर) के लिये प्रार्थना रूप से भी माना जाता है.

हे प्रभु! आप हमारे जीवन के दाता हैं
आप हमारे दुख़ और दर्द का निवारण करने वाले हैं
आप हमें सुख़ और शांति प्रदान करने वाले हैं
हे संसार के विधाता
हमें शक्ति दो कि हम आपकी उज्जवल शक्ति प्राप्त कर सकें
क्रिपा करके हमारी बुद्धि को सही रास्ता दिखायें
मंत्र के प्रत्येक शब्द की व्याख्या

गायत्री मंत्र के पहले नौं शब्द प्रभु के गुणों की व्याख्या करते हैं

ॐ = प्रणव
भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
तत = वह, सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
वरेण्यं = सबसे उत्तम
भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
देवस्य = प्रभु
धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य (ध्यान)
धियो = बुद्धि, यो = जो, नः = हमारी, प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें (प्रार्थना)
इस प्रकार से कहा जा सकता है कि गायत्री मंत्र में तीन पहलूओं क वर्णं है - स्त्रोत, ध्यान और प्रार्थना.

The Gayatri Mantra



Navkar Mantra (Hindi)

जैन दर्शन में अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु ये पांच विशिष्ट पद माने गए हैं. सिद्ध संसार-दशा, जन्म, मृत्यु, रोग, शोक, दुःख, राग, द्वेष आदि से सर्वथा मुक्त हैं. वे अशरीरी- परमात्मा है. अरिहंत भी परमात्मा दशापन्न ही है पर अभी शरीर के बंधन से मुक्त नहीं हैं. आयुष्य समाप्ति पर उनका सिद्धत्व सुनिश्चित हैं. आचार्य उपाध्याय और साधु ये तीनो साधक हैं. इनका लक्ष्य भी सिद्धि प्राप्ति है पर ये अभी उस दिशा में प्रयत्नशील हैं.

जैन धर्म के महामंत्र जिसे ’ नमस्कार सूत्र ’ कहा जाता है में इन सभी पांच पदों ( अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधुओं) को नमस्कार किया गया है. यह मंत्र प्राकृत भाषा में है:

नमस्कार सूत्र, नमोकार मंत्र, नवकार मंत्र, जैन महामंत्र, पंच परमेष्टि सूत्र 

णमो अरिहंताणं
णमो सिद्धाणं
णमो आयरियाणं
णमो उवज्झायाणं
णमो लोए सव्व साहूणं
एसोपंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो
मंगला णं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं


श्री अरिहंत भगवान्, श्री सिद्ध भगवान्, श्री आचार्य महाराज, श्री उपाध्याय महाराज और लोक में वर्तमान सभी साधु मुनिराज इन पांच परमेष्ठियों ( जो मोक्ष और संयम में स्थित हैं) को मेरा नमस्कार हो. उक्त पांच पदों को किया गया नमस्कार सभी पापों का नाश करने वाला है और सभी प्रकार के लोकिक मंगलों में प्रथम (प्रधान) मंगल है.


नोट : 
सिद्ध भगवान् मोक्ष में स्थित हैं और शेष चार पद ( अरिहंत, आचार्य, उपाध्याय और साधु ) संयम में स्थित हैं.
सिद्ध भगवान् निराकार है वे हमें दिखाई नहीं देते हैं. अरिहंत ही हमारी उनसे पहचान करवाते हैं. इसलिए अरिहंतो को सिद्धों से पहले नमस्कार किया गया है .
अरिहंत और सिद्ध ये तो देव पद है और शेष तीन गुरु पद हैं.

भगवान् महावीर


Navkar Mantra(English)

NAVKAR MANTRA(ENGLISH)

Namo Arihantanam: I bow down to Arihanta,

Namo Siddhanam: I bow down to Siddha,

Namo Ayariyanam: I bow down to Acharya,

Namo Uvajjhayanam: I bow down to Upadhyaya,

Namo Loe Savva-sahunam: I bow down to Sadhu and Sadhvi.

Eso Panch Namokaro: These five bowings downs,

Savva-pavappanasano: Destroy all the sins,

Manglananch Savvesim: Amongst all that is auspicious,

Padhamam Havei Mangalam: This Navkar Mantra is the foremost.

GOD MAHAVIR SWAMI 




Sunday, 27 October 2013

The Ganesh Mantra

वक्रतुण्ड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा

Vakra-Tunndda Maha-Kaaya Surya-Kotti Samaprabha
Nirvighnam Kuru Me Deva Sarva-Kaaryessu Sarvadaa

Meaning Of Mantra:
O Lord Ganesha, of Curved Trunk, Large Body, and with the Brilliance of a Million Suns. Please Make All my Works Free of Obstacles, Always.

The Ganesh Mantra